tag:blogger.com,1999:blog-70164856458293650232024-03-09T02:28:59.602+05:30Health & Beautyहैल्थ इज वैल्थIndia Darpanhttp://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7016485645829365023.post-30737516725818328502013-09-07T14:31:00.001+05:302013-09-07T14:31:48.452+05:30जब किसी व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ता है तो वह उसे नियंत्रित करने के लिए डाइटिंग व घंटों एक्सरसाइज जैसे जतन करता है। लेकिन दरअसल इन
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दोनों तरीकों से बेहतर है योगासन। रोजाना कुछ योगासन करने से वजन बहुत जल्दी नियंत्रित हो जाता है। ऐसा ही एक आसन है गरूड़ासन जिसे करने से बहुत जल्दी वजन कम किया जा सकता है।
गरूडासन की विधि-आसन को करने के लिए सबसे पहले सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं, उसके बाद दाएं पैर को सामने की ओर ले जाते हुए बाएं पैर से लपेट लीजिए। इसी तरह दोनों हाथों को सीने के सामने लाकर पैरों की तरह लपेटते हुए नमस्कार की मुद्रा में ले आइए। इस क्रिया को एक तरफ से करने के बाद दूसरी तरफ से भी किजिए। इस स्थिति में एक मिनट तक रहें। इस क्रिया को दोनों पैरों से 5-5 बार करें उसके बाद क्रिया को बढाते रहें।
गरूडासन के लाभ-इस आसन को करने से मांसपेशियां चुस्त बनती हैं। पैर, घुटने व जांघों को मजबूती मिलती है। यह कंधे, बांह तथा कोहनियों के दर्द व कंपन को ठीक करता है। यह आसन शरीर के कंपन को दूर करता है। इस आसन को करने से कमरदर्द, जोडों का दर्द, हार्निया आदि रोग ठीक होते हैं। मोटापा, बवासीर, हाइडोसील तथा मूत्रसंबंधी रोगियों के लिए यह आसन करना अधिक लाभकारी होता है।India Darpanhttp://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7016485645829365023.post-2666863441184558222013-06-23T20:17:00.000+05:302013-06-23T22:48:53.109+05:30तरबूज से तराई, भराई और सफाई<a href="http://www.foto.pk/index1.php?v=18x1802135.jpg"><img src="http://www.foto.pk/thumbs/18x1802135.jpg" border="0"></a>
तरबूज में करीब 97 फीसदी पानी पाया जाता है। जिनको ठंडा, जुकाम-खांसी है, वे तरबूज का सेवन
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सांयकाल या सूर्यास्त के बाद नहीं करें।
तराई
तरबूज तराई देने वाला, गर्मीकी उमस को शांत करने वाला फलहै। एसिडिटी, मुंह सूखना, बेचैनी, आंखों में जलन, तलवों में और त्वचा में जलन,घमोरियां, अलाइयां होने पर तरबूज तरावट पैदा करता है। जिन का रात्रि के समय में मुंह सूखता है, उनके लिए यह बहुत लाभकारी है।
भराई
मोटे व्यक्तियों को ज्यादा खाना खाने की आदत होती है। बार-बार खाना से वे और मोटे होते जाते हैं और फिर भी उनका पेट नहीं भरता है। उन व्यक्तियों के लिए तरबूज भराई का काम करता है। यानी इसका पानी और फूला हुआ गूदा पेट भर देता है। इसे खाने केकाफी देर बाद तक भूख नहीं लगती और मोटे आदमी पतले हो जाते हैं। इसकी मिठास भरपूर ऊर्जा प्रदान करती है।
सफाई
पेट की सफाई करने का सबसे अच्छा और सुन्दर तरीका तरबूज के पास है क्योंकि इसमें पानी और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। इसका पानी और फाइबर रक्त से लेकर मूत्र तक को साफ करता है। इसको खाने के बाद शरीर में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है। इससे दस्त, हैजा, अजीर्ण, अल्सर, छाले, त्वचा रोग, अपच एवं उच्च रक्तचाप और अनिद्रा जैसे रोगों में काफी राहत मिलती है।
तरबूज के प्रयोग
उच्च रक्तचाप में : तरबूज सुबह भूखे पेट, दोपहर को खाने के बाद एवं सायं 4-5 बजे लें।
तनाव में : तरबूज पेट भर खाएंऔर साथ ही लस्सी का प्रयोग करें। मानसिक शांति मिलेगी।
मोटापे में : एक समय भोजन करें और दो समय केवल तरबूज खाएं। वजन तेजी से कम होगा।
मूत्र कम आने पर : तरबूज के रस में नींबू या एक चम्मच आंवला चूर्ण मिलाकर पीएंIndia Darpanhttp://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-7016485645829365023.post-37271417332406307372012-11-13T00:04:00.000+05:302012-11-13T00:26:16.921+05:30
टमाटर में हैं एक ऐसा गुण जिसे आप शायद ही जानते होंगेक्या टमाटर खाकर आप ह्रदय रोगों में स्ट्रोक (आघात ) से होने वाले खतरे को कम सकते हैं? जी हाँ, शोध के परिणाम तो कुछ ऐसा ही साबित कर रहे हैं।अक्टूबर 9,2012 में जर्नल न्यूरोलोजी में
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प्रकाशित शोध के परिणाम के अनुसार टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन एक एंटी-ओक्सिडेंट के रूप मेंकाम करता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलोजी के इसमेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के परिणामों के अनुसार टमाटर में ये एंटी-ओक्सिडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और यह भी देखा गयाहै कि जिन लोगों के रक्त में लाइकोपीन की उच्च मात्रा पाईजाती है,उनमें हृदयाघात की संभावना 55 प्रतिशत तक कमहो जाती है। फिनलैंड में हुए इस शोध अध्ययन में कुल 1031 लोगों को शामिल किया गया,जिनकी उम्र 46 से 65 साल की थी ,इनसभी में लाइकोपीन के स्तर कोअध्ययन के पूर्व में मापा गया और इसे 12 साल तक लगातारशोध अंतर्गत देखा गया,परिणाम चौकाने वाले थे,कुल67 लोगों को ही हृदयाघात का सामना करना पड़ा था। 258 पुरुषों में जिनमें रक्त में लाइकोपीन का स्तर कम था,उनमें से 25 को हृदयाघात हुआ तथा 259 पुरुष जिनके रक्त में लाइकोपीन का स्तर उच्च था,उनमें केवल से 11 में ही हृदयाघात हुआ। हृदयाघात केकारणों में रक्त की नलिकाओं में खून के थक्के का जमना एक बड़ा कारण होता है और इस शोध में यह पाया गया कि जिन लोगों की रक्त में लाइकोपीन का उच्चतम स्तर था ,उनमें कम स्तर वालों की अपेक्षा 59 प्रतिशत कम हार्टअटैक की संभावना पाई गई। इस शोध से भी यही साबित हुआ की भोजन में शाकाहार एवं फल सब्जियों की मात्रा को बढ़ा कर हम हार्टअटैक से होनेवाली मृत्यु की संभावनाको कम कर सकते हैं। यूनिवर्सीटी आफ इस्टर्न फिनलेंड के वैज्ञानिक जॉनीकप्र्पी ,पी.एच .डी. की मानें तो यदि आप अपने ह्रदयके स्वास्थ्य का रखना चाहते हैं बरकरार ,तो कम सेकम प्रतिदिन पांच बार फलों और सब्जियों को अपने भोजन की थाली में परोस कर खाने की आदत डालें। खान-पान में इस अच्छी आदत को शामिल कर पूरी दुनिया में ह्रदय रोगियों की संख्या को कम किया जा सकेगा।India Darpanhttp://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7016485645829365023.post-72141106633362143152012-08-28T19:43:00.000+05:302012-11-12T21:17:09.529+05:30कब्ज को जड़ से खत्म करने के लिए.... ये है एक मीठा नुस्खा<a href="http://www.foto.pk/index1.php?v=waystomana.jpg"><img src="http://www.foto.pk/thumbs/waystomana.jpg" border="0"></a><br />
पेट की यह समस्या बेहद आम होती है, लेकिन इसके दुष्परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि हर रोग की जड़ें किसी न किसी रूप में कब्ज
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सेही जुड़ी होती हैं। कब्ज इतनी आम बीमारी हो चुकी है कि अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि लगातार कब्ज के रहने से उनके स्वास्थ्य पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता है।कब्ज व्यक्ति की कार्यक्षमता को तो घटाती ही है, इससे व्यक्ति का विकास भी रुक जाता है। सामान्य दिखने वाली लेकिन बेहद गंभीर इस समस्या का एक बेहद कारगर और सरल उपाय यह है-<br />
-प्रतिदिन भोजन करने के बाद में तथा सोने से एक घंटा पहले दूध के साथ उबाली गईं बड़ी दाखें खूब चबा-चबाकर खाएं, तथा ऊपर से उस दूध को भी पी जाएं जिसमें इन दाखों को उबाला गया था। लगातार कुछही दिनों तक इस प्रयोग को करने से लाभ नजर आने लगता है।<br />
-सुबह उठकर 1-2 गिलास गुनगुना पानी पीकर टहलने से कब्ज की समस्या में तत्काल फायदा होता है।India Darpanhttp://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-7016485645829365023.post-69013331576099085892012-07-29T09:48:00.002+05:302012-08-19T10:20:12.437+05:30एक कप दूध के इस नुस्खे से टांसिल्स की प्रॉब्लम ठीक हो जाएगी<a href="http://www.foto.pk/index1.php?v=enlargedto.jpg"><img src="http://www.foto.pk/thumbs/enlargedto.jpg" border="0"></a><br />
अधिकतर मौसम बदलने पर लोगों में टांसिल्स की समस्या देखने में आती है। इसीलिए मौसम के परिवर्तन पर या दिन के समय घर से बाहर रहने वाले या किसी<br />
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भी कारणवश तेज धूप और गर्मी में रहने के बाद लोग एकदम ठंडा पानी पी लेने पर टांसिल्स की समस्या हो जाती है। यही कारण है कि तापमान में बार-बार होने वाले बदलाव के कारण लोगों कोखानपान का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावाये कुछ घरेलु उपाय हैं जिन्हें अपनाकर भी टांसिल्स की समस्या में राहत मिलती है।<br />
- एक कप दूध में आधा छोटा चम्मच पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है।<br />
- कच्चे पपीते को दूध में मिलाकर गरारे करें। हफ्ता भर करने से यह समस्या दूर होजायेगी।<br />
-जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छाहोगा।<br />
- टांसिल्स में भी गाजर का रस पीने की सलाह दी जाती है।आराम मिलता है।<br />
- मेथी के चूर्ण तथा काढ़े से स्नायु रोग,बहु-मूत्र,पथरी,टांसिल्स,में लाभ होताहै।<br />
- गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करें।India Darpanhttp://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7016485645829365023.post-1919048733369922212012-04-20T00:17:00.001+05:302012-05-17T00:05:56.381+05:30गलत तरीके से सांस लेना आपकी उम्र कम कर देता है, ये है सही तरीका<a href="http://www.foto.pk/index1.php?v=breathing1.jpg"><img src="http://www.foto.pk/thumbs/breathing1.jpg" border="0"></a>खाना-पीना, सोना-जागना, उठना-बैठना और ये इन्हें मनुष्य जीवन की सामान्य क्रिया माना जाता है। लेकिन इन सबसे भी ज्यादा और आवश्यक सांस लेने को माना जाता है। सांस लेने को तो सरल काम भी नहीं माना जाता, लोगों को<br />
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लगता है कि सांस लेना कोई काम ही नहीं है।लेकिन सांस के विषय में ऐसा सोचना इंसान की सबसे बड़ी भूलों में से एक है। योग विज्ञान का यह निश्चित सिद्धांत है कि, सही तरीके से सांस न लेने वाला इंसान अपनी उम्र में से कई साल कम कर लेता है। प्राणायाम का पूरा का पूरा विज्ञान ही सांसों के सही संचालन और नियंत्रण पर टिका हुआ है। प्राणायाम के अभ्यास और साधना के द्वारा शरीर और मन में अनेक आश्चर्यजनक शक्तियों को जगाया जा सकता है। जनरली प्राणायाम का इतना ही अर्थ लगाया जाता है कि घंटा-आधा घंटा किसी आसन पर बैठकर नाक और मुंह से सांस का अभ्यास करना। जबकि असल में प्राणायाम किसी निश्चित समय और स्थान पर बैठकर की जाने वाली क्रिया मात्र ही नहीं है। प्राणायाम का असल मकसद मनुष्य को हर समय सोते-जागते सही और पूर्ण तरीके से सांस लेना सिखाना है। शोध और सर्वे के नतीजे बताते हैं कि आधुनिक जीवन शैली में पला-बढ़ा दुनिया का हर इंसान गलत तरीके से सांस ले रहा है। शोध में पाया गया कि आधुनिक मनुष्य अपने फेंफडों की सांसों को भरने की क्षमता का महज 30 फीसदी ही प्रयोग में ला रहा है। शेष 70 प्रतिशत क्षमता प्रयोग में न आने के कारण बेकार ही पड़ी है। सांसों का मनुष्य की आयु से सीधा संबंध होता है। छोटी, अधूरी और उथली सांस लेने के कारण इंसान अपनी वास्तविक उम्र में से कई साल घटा लेता है।India Darpanhttp://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.com14